Thursday, 3 July 2014

एक बूँद 

बारिश की हर एक बूँद बताती है !
मै तेरी होने लगी  हू! 
मुझ से कह जाती है!!
जब जब झूम के बरखा आती है!
तेरे आगमन  में  पलके बिछ जाती है !

मदहोश हवाओ में भी!भीनी माटी की सुगंध जग जाती है!
हर पल दिल की धड़कन बस बढ़ती जाती है!!
बस बढ़ती जाती है!

बैठ मुंडेर पे खिड़की की मैं खो सी जाती हूँ!
देख दूर कही कश्ती पानी में मै बहने लगती हूँ!   









हर यादो के दोर में उसको ही पाती हूँ!
देख उन  हाथो को थाम बारिश में मै सोचती रहती हूँ!
फिर देख झुरमुठ उन मस्त मगन  बच्चो  का मे भी खुश हो जाती हूँ!
तन्हा अकेले इस बरखा में भी मे हर रंग ढूंढा करती हूँ!!
उसकी मुस्कान में रहती हूँ मै!
उसकी यादू  में सोया करती हू!
बारिश की एक एक बूँद में उस से मिल आती हूँ!                                                                                      
 शिल्पा  अमरया  

Friday, 9 May 2014

ख़ामोशी 

है क्या उसके दिल मे क्यो मै ना सुन पाउ 
उड़ रही झुरमुठ के पीछे 
कैसे आज़ादी मे पंख फैलाऊ 

है सोच एक  दरिया मेरा 
दूजे छोर खड़ा उसको पाउ 

मेरी यादों मे चलता है वो 
आँखें खोल बोझिल हो जाऊ 

सपनो मे है वो आता जाता 
रोकना चाहू तो रोक ना पाउ 

मेरी मुस्कान मे बस्ता है 
हर पल चाहके भी ना हॅंस पाउ 














ओस की बूंदों मे वो दिखता 
थाम ना चाहूँ थाम न पाउ 

बहती हवा संग आता है बहता 
क्यों आगोश मे भर ना  पाउ 

जितना भी सोच की पहुुँच बडाऊ 
बदलो से मै जा टकराऊ 

है क्या उसके दिल मे 
कैसे मै ना सुन पाउ !!

                                                                                                शिल्पा अमरया 

Wednesday, 6 February 2013

मेरी अभिलाषा 

नीले नीले अम्बर का साया सा कुछ पावन हू ! कुछ धुमिल हू  मै 
एक झोके में छा जाता हू ! एक झोके में खो जाता हू 

फूलो का हसीं गुच्छा हू मै महका महका मदहोशी सा 
आज खिला हू फिर कल मुरझाया हर पल ना रहा रोशन मेरा साया 

अपनी नई पहचान पे झूम झूम के इतराता 
हर एक हार पे एक दम अकेला हो जाता 

मासूमियत भरा एहसास हू मै 
नवजात शिशु सा एहसास हु मै 




बस एक अस्तित्व के खिलवाड़ में 
अपनी पहचान को खोता पाया 

तेज़ हवा का झोका हू मै  
शीतल मॊसम जिसने बनाया  
तपती गर्मी में मैने ही एहसासों को झुलसाया  

लहरों का वो तेज़ बहाव हू  
छूके पेरॊ  को जो गुजर जाता   

वो यादों का पुलिंदा हू  
बहती  लहरे जो बहा ले जाए 


नाम हू बस एक नाम हू मै  
उस रेत पे लिखा हुआ  

एक पल के लिए जीवीत हू 
दूजे पल मै नही रहा 

कुंठाओ भरे मन से सोचा न हो पाया अंकित पत्थर पे 
जो ना कभी  मिट पाता 
रेत पर ही सिमट गया !! मेरी पहचान मेरा साया 

                                                                                                                                   शिल्पा अमरया

Thursday, 27 December 2012





चाहत  की  पोटली 

आज जीने की तमन्ना है , कुछ करने का इरादा 
बहुत ढूढ ली दूसरों की हँसी मे अपने ख़ुशी 
आज अपनी एक पहचान बनाने का इरादा है!
आज अपनी मुस्कान पे शर्माने का इरादा है !
वो पल बीत गया जब इंतज़ार रहता था अनोखे पल का 
आज हर पल को अनोखा बनाने का इरादा है!
अब दुसरो के सहारे नहीं 
अपनी शक्ति पे संसार बनाने का इरादा है!
आज जीने की तमन्ना है ! कुछ करने का इरादा है! 

 बहुत किया सब के लिए आज अपने में खोने का इरादा है !
अपने पर ही प्यार लुटाने का इरादा है!
भोर से निशा तक बस अपने में डूब जाने का इरादा है  
डूबे रह जाने का इरादा है!
अब कमी खलती नहीं ये एहसास करने का इरादा है!
 बहुत दूर खो जाने का इरादा है!
आज अपने लिए जी जाने का इरादा है!
यूही हमेशा मुस्कुराने का इरादा है।।मुस्कुराते जाने का इरादा है!!

Tuesday, 27 November 2012



खुशियों की छाव  तले 

ना कर ये कीमती मोती बेकार 
भर नई चाहत कर नया  प्रयास 
की हो जाए तेरे हर एक सपने साकार  

कैसे जीवन से तू हार गया  
जो न मिला तो तूने  फिर ना दोबारा प्रयास किया 
जब तक तू हिम्मत हारेगा अपनी मेहनत से दूर भागेगा  
ना कभी तेरे सपने सच होंगे  
बस ऐसे ही मोती तेरे मन के पल पल में व्यर्थ होंगे 
























तू भी बढ़ चल आगे निकल  
पीछे  छोड़ उन  रूठी बीती बातों  को 
चल चल आगे कर मेहनत  बढचल 
भूल जा वो कडवी  यादों को 
अगर करना ही है कुछ मुट्ठी मे 
तो कर भरसक प्रयास इतना 
की देख  तेरी लगन  चाहत को 
पिगल जाये नीला बादल 
पिगल जाए ईश्वर का मन 
कर दे वो सब चरणों में तेरे  
दे दे  तुझको हर चाहत का फल